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हनुमान चालिसा hanuman chalisa

हनुमान चालिसा (Hanuman chalisa) **॥दोहा॥** श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।   बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥   बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।   बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥   **॥चौपाई॥** जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।   जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥   रामदूत अतुलित बल धामा।   अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥   महाबीर बिक्रम बजरंगी।   कुमति निवार सुमति के संगी॥   कंचन बरन बिराज सुबेसा।   कानन कुंडल कुंचित केसा॥   हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे।   काँधे मूँज जनेउ साजे॥   शंकर सुवन केसरी नंदन।   तेज प्रताप महा जग बंदन॥   विद्यावान गुनी अति चातुर।   राम काज करिबे को आतुर॥   प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।   राम लखन सीता मन बसिया॥   सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।   बिकट रूप धरि लंक जरावा॥   भीम रूप धरि असुर सँहारे।   रामचंद्र के काज सँवारे॥ ...

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव: एक सामाजिक जलसा**

**महाराष्ट्र में गणेश उत्सव: एक सामाजिक जलसा** गणेश उत्सव, या गणेश चतुर्थी, महाराष्ट्र में, विशेषकर मुंबई और पुणे में, मनाए जाने वाले सबसे गतिशील और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले उत्सवों में से एक है। यह उत्सव, जो भगवान गणेश के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है, एक ऐसा भव्य उत्सव है जो पूरे राज्य को रंगीन और उल्लासपूर्ण प्रदर्शनी में बदल देता है। यह हर साल अगस्त या सितंबर में, चंद्रमास के अनुसार, आयोजित होता है और इसमें कई घटनाएँ और परंपराएँ शामिल होती हैं जो महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करती हैं। ### गणेश चतुर्थी का महत्व गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के पृथ्वी पर आगमन का उत्सव है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र, को बाधाओं को दूर करने और नई शुरुआत के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह उत्सव केवल गणेश की पूजा नहीं करता बल्कि नई शुरुआत, बुद्धिमत्ता और समृद्धि का भी प्रतीक है। यह ऐसा समय है जब समुदाय एकत्र होकर उत्सव मनाते हैं, पूजा करते हैं, और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। ### तैयारी और सजावट **मूर्तियों का निर्माण:** ...

गोकुल जनमाष्टमी गोकुलाष्टमी

गोकुल जनमाष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है। यह भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में आता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। ### ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अत्याचार और राक्षसों से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। उनके जन्म की रात माता देवकी और पिता वसुदेव जेल में बंद थे। कृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव ने उन्हें गोवर्धन पर्वत पर रखकर यमुना नदी पार कर गोकुल में नंदबाबा और यशोदा के पास पहुँचाया। गोकुल में उनका पालन-पोषण नंदबाबा और यशोदा ने किया और यहीं पर उन्होंने अपनी दिव्य लीलाओं से लोगों को प्रभावित किया। ### पूजा और उत्सव 1. **व्रत और उपवास**: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विशेष रूप से रात को उपवास करते हैं। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और श्रद्धा प्रकट करने के लिए होता है। 2. **भजन और कीर्तन**: इस दिन भजन-कीर्तन और काव्य-गायन होता है। कृष्ण के जन्म और उनकी लीलाओं की कहानियाँ सुनाई जाती हैं, जो उनकी दिव्यता को दर्शाती हैं। 3. **मूर्ति सजावट**: भगवान कृष्ण क...

हनुमान आरती (Hanuman aarti )

हनुमान जी की आरती  हनुमान आरती Hanuman aarti  ॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥ वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥ ॥ आरती ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥ लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥ लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥ बाईं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥ कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ॥ जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥ लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥ आरती ...

शिव मंत्र (shiva mantra) अमरत्व की ओर एक साधना

 शिव मंत्र: अमरत्व की ओर एक साधना  shiv mantra shiva mantra  1. प्रस्तावना 2. शिव मंत्र का महत्व 3. शिव मंत्र की शक्ति 4. विभिन्न शिव मंत्र     4.1 ॐ नमः शिवाय मंत्र     4.2 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे मंत्र     4.3 ॐ नमो भगवते रूद्राय मंत्र     4.4 ॐ हं हंसः मंत्र 5. शिव मंत्र जप करने की विधि 6. शिव मंत्र के लाभ 7. शिव मंत्र साधना से संबंधित प्रश्न     7.1 किसी भी समय शिव मंत्र का जप किया जा सकता है?     7.2 शिव मंत्र का जप कितनी बार करना चाहिए?     7.3 शिव मंत्र का जप स्त्री व्यक्ति कर सकती है?     7.4 शिव मंत्र के जप के लिए विशेष समय और स्थान का महत्व 8. निष्कर्ष 9. संधि ## प्रस्तावना: शिव मंत्र हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण अंग हैं। भगवान शिव को सनातन धर्म में महादेव भी कहा जाता है, और उनकी भक्ति भारतीय संस्कृति में गहरे रूप से स्थापित है। शिव मंत्रों का जाप करने से मन, शरीर और आत्मा को संतुलित किया जा सकता है, जो एक शांत, शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। इस ब्लॉग लेख में, हम शिव मंत...

हरितालिका तीज व्रत की कथा ( story of haritalika teej vrat )

 हरितालिका तीज व्रत  की  कथा  ( story of haritalika teej vrat ) हरितालिका तीज व्रत कब मनाया जाता है   हरितालिका तीज भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया  तिथि के दिन मानाने की परंपरा है. आमतौर पर ये तिथियां बरसाती महीनो में जुलाई से लेकर सितम्बर  तक हो सकती है.  हरितालिका तीज  व्रत की कहानी  माता गौरा ने सती के बाद हिमालय के घर में पार्वती माता के रूप में जन्म लिया था और बचपन के दिनों से ही पार्वती शिवजी को वर के रूप में देखना चाहती थी.  इसीलिए पारवती माता ने कठोर तप किया।  कड़कड़ाती ठण्ड में पानी में  , गर्मी में यज्ञ के सामने बैठकर, बारिश में जल में खड़े रहकर  कठोर परिश्रम से तपस्या की. निराहार पत्तोंको खाकर बारह साल तक व्रत किया।   उनकी इस तपस्या से प्रभावित भगवान  विष्णु ने विवाह के लिए पार्वती का हाथ हिमालय से माँगा.  हिमालय ने बड़े प्रसन्न होकर ये बात पार्वती को बताई. जिसके कारण पार्वती दुखी हो गई और उन्होंने अपना दुःख अपनी सहेलियों को बताया. इस समस्या के उपाय के लिए उनकी सहेलिया उनको हर कर म...