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गोकुल जनमाष्टमी गोकुलाष्टमी

गोकुल जनमाष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है। यह भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में आता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।

### ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अत्याचार और राक्षसों से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। उनके जन्म की रात माता देवकी और पिता वसुदेव जेल में बंद थे। कृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव ने उन्हें गोवर्धन पर्वत पर रखकर यमुना नदी पार कर गोकुल में नंदबाबा और यशोदा के पास पहुँचाया। गोकुल में उनका पालन-पोषण नंदबाबा और यशोदा ने किया और यहीं पर उन्होंने अपनी दिव्य लीलाओं से लोगों को प्रभावित किया।

### पूजा और उत्सव

1. **व्रत और उपवास**: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विशेष रूप से रात को उपवास करते हैं। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और श्रद्धा प्रकट करने के लिए होता है।

2. **भजन और कीर्तन**: इस दिन भजन-कीर्तन और काव्य-गायन होता है। कृष्ण के जन्म और उनकी लीलाओं की कहानियाँ सुनाई जाती हैं, जो उनकी दिव्यता को दर्शाती हैं।

3. **मूर्ति सजावट**: भगवान कृष्ण की मूर्तियों को सजाया जाता है और उनका अभिषेक किया जाता है। मूर्तियों को दूध, दही, शहद और घी से स्नान कराया जाता है।

4. **खिलौने और प्रसाद**: घरों और मंदिरों में विभिन्न खाद्य पदार्थ जैसे माखन, मिश्री और पेड़े बनाए जाते हैं। ये प्रसाद भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं और फिर भक्तों में वितरित किए जाते हैं।

5. **डांडीया और रासलीला**: गोकुल और वृंदावन जैसे स्थानों पर 'रासलीला' और 'डांडीया' नृत्य भी किए जाते हैं, जो कृष्ण की प्रेम भरी लीलाओं को दर्शाते हैं।

गोकुल जनमाष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि गोकुल से जुड़ी है और यह उनके बाल्यकाल की यादों और दिव्यता को मनाने का एक अवसर है।

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