सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हनुमान चालिसा hanuman chalisa

हनुमान चालिसा (Hanuman chalisa) **॥दोहा॥** श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।   बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥   बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।   बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥   **॥चौपाई॥** जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।   जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥   रामदूत अतुलित बल धामा।   अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥   महाबीर बिक्रम बजरंगी।   कुमति निवार सुमति के संगी॥   कंचन बरन बिराज सुबेसा।   कानन कुंडल कुंचित केसा॥   हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे।   काँधे मूँज जनेउ साजे॥   शंकर सुवन केसरी नंदन।   तेज प्रताप महा जग बंदन॥   विद्यावान गुनी अति चातुर।   राम काज करिबे को आतुर॥   प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।   राम लखन सीता मन बसिया॥   सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।   बिकट रूप धरि लंक जरावा॥   भीम रूप धरि असुर सँहारे।   रामचंद्र के काज सँवारे॥ ...

महाराष्ट्र में गणेश उत्सव: एक सामाजिक जलसा**

**महाराष्ट्र में गणेश उत्सव: एक सामाजिक जलसा** गणेश उत्सव, या गणेश चतुर्थी, महाराष्ट्र में, विशेषकर मुंबई और पुणे में, मनाए जाने वाले सबसे गतिशील और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले उत्सवों में से एक है। यह उत्सव, जो भगवान गणेश के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है, एक ऐसा भव्य उत्सव है जो पूरे राज्य को रंगीन और उल्लासपूर्ण प्रदर्शनी में बदल देता है। यह हर साल अगस्त या सितंबर में, चंद्रमास के अनुसार, आयोजित होता है और इसमें कई घटनाएँ और परंपराएँ शामिल होती हैं जो महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करती हैं। ### गणेश चतुर्थी का महत्व गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के पृथ्वी पर आगमन का उत्सव है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र, को बाधाओं को दूर करने और नई शुरुआत के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह उत्सव केवल गणेश की पूजा नहीं करता बल्कि नई शुरुआत, बुद्धिमत्ता और समृद्धि का भी प्रतीक है। यह ऐसा समय है जब समुदाय एकत्र होकर उत्सव मनाते हैं, पूजा करते हैं, और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। ### तैयारी और सजावट **मूर्तियों का निर्माण:** ...

गोकुल जनमाष्टमी गोकुलाष्टमी

गोकुल जनमाष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है। यह भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में आता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। ### ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अत्याचार और राक्षसों से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। उनके जन्म की रात माता देवकी और पिता वसुदेव जेल में बंद थे। कृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव ने उन्हें गोवर्धन पर्वत पर रखकर यमुना नदी पार कर गोकुल में नंदबाबा और यशोदा के पास पहुँचाया। गोकुल में उनका पालन-पोषण नंदबाबा और यशोदा ने किया और यहीं पर उन्होंने अपनी दिव्य लीलाओं से लोगों को प्रभावित किया। ### पूजा और उत्सव 1. **व्रत और उपवास**: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और विशेष रूप से रात को उपवास करते हैं। यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और श्रद्धा प्रकट करने के लिए होता है। 2. **भजन और कीर्तन**: इस दिन भजन-कीर्तन और काव्य-गायन होता है। कृष्ण के जन्म और उनकी लीलाओं की कहानियाँ सुनाई जाती हैं, जो उनकी दिव्यता को दर्शाती हैं। 3. **मूर्ति सजावट**: भगवान कृष्ण क...